Wednesday, March 10, 2010
आरक्षण
Thursday, January 28, 2010
कहतें हैं सिनेमा समाज का प्रतिबिम्ब होता है। यानि समाज में जो भी घटित होता है वही दिखातें हैं। लेकिन आज कल एक प्रोग्राम या आप कह सकतें बहुत प्रोग्राम टी वि आतें रहतें जो की समाज में गंदगी फेलातें हैं । डांस इंडिया डांस जी टी वी पर लड्कियें के कपडे बहुत चोटें होतें हैं। क्या यही शभ्य समाज है की श्भ्यता है अगर यही है तो इस्ससे अच्छा तो वह जंगली जीवन ही इस परिभासा के अनुसार सही था तब पत्तों से अपने सरीर को ढँक कर रखते थे। शाभ्यता अगर कोई चीज़ है तो उसे बनाये और बना कर रखें। डांस तो कपड़ो के साथ भी हो सकता है।
समाज में रहकर समाज की सोचें। और भी लोग है जो इस तरह नहीं जी सकतें। डांस को डांस रहने दें । इसे अपने हद में इसे और कुछ न बनाये । लोगों की नज़रों को साफ रहने दें। और आप लोग खुद समझदार हैं।
Tuesday, January 26, 2010
आज देश की हालत बहुत ख़राब है राजनीती में अपराधीकारन बढता जा रहा है । हेरेक पार्टी बस इसकी बात भर कर लेतें की अपराधी कारन रोकना है । पर होता कर्ट कोई कुछ नहीं । कांग्रेस केवल ४१ अपराधिक छवि वाले सान्दाद है और बीजेपी में ४२। अभी २५.०१.१० सोनिया गाँधी अपने में कह रही थी की अपराधीकरण रोकी जाना चईये । सायद सोनिया गाँधी ने अपने घर में झाँका की हमारे पास क्या है नेता लोग बस कहने के लिए ही हैं ।
राम का देश राम भ्रेसो ही चल रहा है। सब के सब अपने मतलब और अपने जेब के लिए लोगो की खून पे रहें है। एक और भगत सिंह की जरुतात है एक और जय प्रकाश की जरुरत है एक चंद्रशेखर की जरुरत है। हे जनता पास आओ एकजुट हो और इस स्वार्थ भरी राजनीती को स्वः करो अगर अपनी आने वाली पीडी को कुछ देना चाटो हो तो।