Thursday, January 28, 2010

कहतें हैं सिनेमा समाज का प्रतिबिम्ब होता है। यानि समाज में जो भी घटित होता है वही दिखातें हैं। लेकिन आज कल एक प्रोग्राम या आप कह सकतें बहुत प्रोग्राम टी वि आतें रहतें जो की समाज में गंदगी फेलातें हैं । डांस इंडिया डांस जी टी वी पर लड्कियें के कपडे बहुत चोटें होतें हैं। क्या यही शभ्य समाज है की श्भ्यता है अगर यही है तो इस्ससे अच्छा तो वह जंगली जीवन ही इस परिभासा के अनुसार सही था तब पत्तों से अपने सरीर को ढँक कर रखते थे। शाभ्यता अगर कोई चीज़ है तो उसे बनाये और बना कर रखें। डांस तो कपड़ो के साथ भी हो सकता है।

समाज में रहकर समाज की सोचें। और भी लोग है जो इस तरह नहीं जी सकतें। डांस को डांस रहने दें । इसे अपने हद में इसे और कुछ न बनाये । लोगों की नज़रों को साफ रहने दें। और आप लोग खुद समझदार हैं।

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